Kanke, Ranchi, Jharkhand

( A State Government University )

बीएयू के विद्यार्थियों ने किडनी के प्रति लोगों को किया जागरूक

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि संकाय अधीन संचालित सामुदायिक विज्ञान विभाग में अध्ययनरत बीवोक इन ह्यूमन न्यूट्रीशन एंड डायटेटिक्स पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया। मौके पर छात्रों ने किडनी (गुर्दे) के महत्व, देखभाल एवं उपचार को पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया। लोगों को जागरूक किया।

इस अवसर पर आयोजित व्याख्यान में विभागाध्यक्ष डॉ रेखा सिन्हा ने छात्रों को ‘विभिन्न प्रकार के गुर्दा विकार में आहार प्रबंधन’ विषय से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि गुर्दा विकार में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, गलत जीवन शैली, कम पानी, शराब, अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन आदि प्रमुख कारक हैं। इससे ह्रदय, लीवर एवं किडनी प्रभावित होती है। कभी-कभी अचानक अधिक खून के बहाव और हानि एवं शरीर में पानी की कमी से किडनी में इन्फेक्शन होता है। यह लक्षण तीन महीनों से ज्यादा होने पर क्रोनिक किडनी रोग का कारण बनता है। यह मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप के बढ़ने से होता है। शरीर में किडनी स्टोन भी एक बड़ी समस्या है, जो गर्म वातावरण, मानसिक दबाव वाले कार्य एवं कैल्शियम व फैटी एसिड युक्त भोजन के सेवन की वजह से होता है।

डॉ सिन्हा ने बताया कि किडनी की देखभाल में स्वस्थ जीवन शैली, रोजाना व्यायाम, रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन, शराब, अल्कोहल और धूम्रपान के सेवन से परहेज, पैकेज्ड फ़ूड और तले हुए भोजन से परहेज की आवश्यकता है। बढ़िया खान-पान, बेहतर जीवन शैली और सही समय पर उपचार और इलाज गुर्दे की बीमारियों को रोकने में मददगार हो सकता है। पाठ्यक्रम के छात्रों को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा एवं किडनी रोग के आहार के प्रति अद्यतन रहने की आवश्यकता है।

मौके पर छात्रा अनमोल ने विश्व किडनी दिवस की 17वीं वर्षगांठ के महत्‍व पर प्रकाश डाला। कहा कि किडनी मनुष्य और सभी जीव-जंतुओं के शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी जोड़ियों का काम रक्त शुद्धि कर मूत्र उत्पादन करना होता है। यह शरीर में प्राकृतिक रक्त शोधक के रूप में कार्य कर अपशिष्ट पदार्थों को हटाता हैं। इसका उचित देखभाल एवं उपचार आज की बड़ी वैश्विक जरूरत है।

कार्यक्रम का संचालन सुबोध कुमार यादव और धन्यवाद चन्द्र प्रकाश ने कि‍या। मौके पर बिंदु शर्मा, नीलिका चंद्रा सहित बीवोक पाठ्यक्रम के दूसरे एवं तीसरे वर्ष के 32 छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

 
 

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