भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में सहायक महानिदेशक (पौधा संरक्षण एवं बायोसेफ्टी) के पद पर कार्यरत डॉ सुनील चंद्र दुबे ने मंगलवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार ग्रहण किया। उनका कार्यकाल 3 वर्षों के लिए है।
पद भार ग्रहण करने के बाद डॉ दूबे ने बीएयू परिसर स्थित बिरसा भगवान और कार्तिक उरांव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक को संबोधित किया।
कुलपति ने सभी निदेशकों और अधिष्ठाताओं को निर्देश दिया कि अधिकारियों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों और सभी स्तर के शिक्षकेतर कर्मचारियों के रिक्त पदों का ब्योरा एक सप्ताह के अंदर निदेशक प्रशासन के पास जमा करें ताकि एक माह के अंदर सभी रिक्तियां जेपीएससी और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से विज्ञापित कराने की कार्रवाई की जा सके।
उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्वत् परिषद और प्रबंध पर्षद की बैठक भी 15-20 दिनों के अंदर कराने का निर्देश संबंधित पदाधिकारियों को दिया। प्रबंध पर्षद के सदस्यों के रिक्त स्थानों पर मनोनयन के लिए संबंधित विभागों को यथाशीघ्र पत्र लिखने का भी निदेश उन्होंने कुलसचिव को दिया।
उन्होंने कहा कि डीन, डायरेक्टर सहित सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, अपनी शक्तियों का समुचित इस्तेमाल करना होगा और फाइल में स्पष्ट मंतव्य देना होगा ताकि संचिकाओं के निष्पादन में कम से कम समय लगे। फाइल मूवमेंट की प्रक्रिया को भी छोटा किया जाएगा।
विश्वविद्यालय में एग्रोटेक किसान मेला 24 से 26 फरवरी तक करने का निर्णय लिया गया और इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने का निदेश निदेशक प्रसार शिक्षा को दिया गया।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में कोई भी खर्च पूरी तरह नियमपूर्वक और मितव्ययिता के साथ होना चाहिए।एक्ट, स्टेच्यूट, सेवा संहिता और सरकारी प्रावधानों के तहत ही प्रस्ताव एवं फाइल नोटिंग आनी चाहिए।
डॉ दूबे वर्ष 1989 से 2001 तक बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची में सहायक प्राध्यापक एवं एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर चुके हैं। बाद में वह आईसीएआर, नई दिल्ली चले गए थे जहां उन्होंने वरीय वैज्ञानिक, प्रधान वैज्ञानिक, विभागाध्यक्ष, निदेशक और सहायक महानिदेशक के रूप में कार्य किया। पौधा और कवक रोगों का प्रबंधन एवं निदान उनके शोध का प्रमुख क्षेत्र रहा है। देश-विदेश के प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल में उनके 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हैं। वर्तमान में वह नेशनल एकेडमी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज, नई दिल्ली, नेशनल अकेडमी आफ बायोलॉजिकल साइंसेज, तमिलनाडु, इंडियन सोसाइटी ऑफ़ माइकोलॉजी एंड प्लांट पैथोलॉजी, उदयपुर तथा इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी, नई दिल्ली के फेलो हैं।