Kanke, Ranchi, Jharkhand

( A State Government University )

रांची में कृषि विज्ञान केंद्रों की तीन दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला शुरू

केवीके कर्मियों की समस्याओं का समाधान आईसीएआर राज्य सरकारों और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर करेगा: डॉ पीएल गौतम

रांची। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ पीएल गौतम ने कहा है कि कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) कर्मियों की प्रोन्नति और पेंशन लाभों संबंधी समस्याओं का समाधान आईसीएआर, संबंधित राज्य सरकारों और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर निकालेगा। केवीके कर्मी कृषि विश्वविद्यालयों के स्टाफ हैं न कि आईसीएआर के इसलिए उन्हें विश्वविद्यालय के अन्य कर्मियों की तरह ही सभी सेवा शर्तों जैसे प्रोन्नति, मेडिकल, सेवानिवृत्ति आयु, पेंशन, ग्रेच्युटी, अर्जित अवकाश का नकदीकरण आदि का लाभ मिलना चाहिए।

देश भर के जिलों में कुल 731 केवीके चल रहे हैं। केवीके कर्मी संबंधित राज्य और जिले के किसानों के लिए ही काम कर रहे हैं। आईसीएआर प्रति केवीके साल में डेढ़ करोड़ रुपए अनुदान देता है, जबकि पेंशन मद में राज्य सरकार को प्रति वर्ष केवल 20-25 लाख रुपए ही देना होगा। कृषि राज्य का विषय है इसलिए उन्हें समस्त पेंशन लाभ प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को आगे आना चाहिए। अभी देश के 64 कृषि विश्वविद्यालयों में से केवल 14 कृषि विश्वविद्यालय ही केवीके कर्मियों को पेंशन दे रहे हैं । इस विषय पर झारखंड और बिहार के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को राज्य सरकार से लगातार चर्चा करनी चाहिए। प्रधानमंत्री से लेकर सभी मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री केवीके के कार्यों की सराहना करते हैं इसलिए गंभीरता से लगा जाए तो इस समस्या का शीघ्र समाधान निकल जाएगा।
डॉ गौतम शनिवार को रामकृष्ण मिशन आश्रम प्रेक्षागृह में बिहार और झारखंड के कृषि विज्ञान केंद्र की छठी वार्षिक कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। सोमवार तक चलने वाली इस तीनदिवसीय कार्यशाला में बिहार और झारखंड के कुल 68 कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रधान भाग ले रहे हैं। कार्यशाला का आयोजन आईसीएआर के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोन-IV, पटना और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। कार्यशाला का मुख्य विषय कृषि उद्यमिता विकास के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग है।

आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (प्रसार शिक्षा) डॉ आरके सिंह ने कहा भारत सरकार पूर्वी राज्यों पर विशेष ध्यान दे रही है क्योंकि दूसरी हरित क्रांति इसी क्षेत्र से आनी है जिसमें कृषि विज्ञान केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रधानमंत्री केवीके तंत्र को और मजबूत करना चाहते हैं। नेशनल इनिशिएटिव आन क्लाइमेट रेसिलियंट एग्रीकल्चर (निकरा) के अंतर्गत केवीके में जो कार्य हुए हैं उस मॉडल को भूटान, नेपाल और कई अफ्रीकी देश भी अपनाना चाहते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड का फार्मिंग सिस्टम और पारिस्थितिकी तंत्र बहुत खूबसूरत एवं सहनशील है। उन्होंने कहा कि जनजातीय उपयोजना (टीएसपी) के तहत होने वाले कामकाज को ज्यादा सिस्टमेटिक और परिणाम आधारित बनाने की जरूरत है।

रामकृष्ण मिशन आश्रम के स्वामी भवेशानंद जी ने काम को पूजा के भाव से करने की सलाह वैज्ञानिकों को दी। ऐसा भाव रहने से कोई भी व्यक्ति काम से थकता नहीं बल्कि उसे और ऊर्जा मिलती है। उन्होंने झारखंड को जैविक राज्य बनाने और लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व लिखित पुस्तक कृषि पाराशर से टिकाऊ कृषि के सूत्र लेने पर बल दिया।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव ने झारखंड के 24 कृषि विज्ञान केंद्रों की महत्वपूर्ण पहल और राज्य के कृषि विकास में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।

अटारी, पटना के निदेशक डॉ अंजनी कुमार सिंह ने स्वागत भाषण करते हुए जोर दिया कि कृषि विज्ञान केंद्रों को अपनी रिपोर्टिंग डेटा आधारित करनी होगी। केवीके काम बहुत करते हैं किंतु प्रामाणिकता के साथ उसकी रिपोर्टिंग और डॉक्यूमेंटेशन नहीं कर पाते।
आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) डॉ केशव कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन शशि सिंह ने किया।

कार्यक्रम में केंद्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ विकास दास, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ एमएस कुंडू, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आरके सोहाने, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ एके ठाकुर, क्रिडा, हैदराबाद के डा पंकज कुमार, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ पीके सिंह, डॉ डीके शाही, डॉ एमएस मलिक, डॉ सुशील प्रसाद, इफको के डॉ यूके सिन्हा, पद्मश्री जमुना टुडू (पश्चिमी सिंहभूम), राष्ट्रपति से सम्मानित चांदनी मुर्मू (सरायकेला), 10 केवीके के प्रमुखों और तीन अवकाश प्राप्त केवीके वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नैसर्गिक खेती शीर्षक पुस्तक, केवीके, रांची की त्रैमासिक पत्रिका प्रबुद्ध ग्राम सहित 8 प्रकाशनों और उत्पादों का लोकार्पण किया गया।