Kanke, Ranchi, Jharkhand

( A State Government University )

वैज्ञानिक अनुसंधान में सांखियिकीयपद्धतियाँ बहुत महत्वपूर्ण: बीएयू कुलपति

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा है कि वैज्ञानिक अनुसंधान, शोध परिणामों की रिपोर्टिंग तथा उपयोगी निष्कर्ष निकालने में सांखियिकीय पद्धतियाँ बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है I संख्यिकीय विश्लेषण से शोध अध्ययन के विभिन्न पहलुओं और परिणामों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है I
कुलपति रांची पशुचिकित्सा महाविद्यालय के पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग द्वारा ‘एसपीएसएस (सामाजिक विज्ञानों के लिए संख्यिकीय पैकेज) सॉफ्टवेयर के प्रयोग द्वारा बेसिक डाटा विश्लेषण‘ विषय पर आयोजित तीनदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे I डॉ सिंह ने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी वितरित किया और आयोजकों को भविष्य में सांखियिकीय पद्धति पर लम्बी अवधि का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया I

स्वागत भाषण करते हुए पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने शोध अध्ययन के नियोजन, डिजाइनिंग, डाटा संग्रह, विश्लेषण एवं निष्कर्ष निकालने में एसपीएसएस सॉफ्टवेयर के महत्त्व को रेखांकित किया I प्रशिक्षण कार्यक्रम समन्वयक डॉ नंदनी कुमारी ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रशिक्षणार्थियों को अनुसंधान समस्याओं के ज्यादा तार्किक और वैज्ञानिक समाधान हेतु समर्थ बनाएगा I इस सॉफ्टवेर का नवीनतम वर्शन लगातार आ रहा है जिसका काफी प्रयोग चिकित्सा, विपणन, बिज़नेस इंटेलिजेंस, आपराधिक मामलों की जांच तथा शैक्षिक अनुसंधान में हो रहा है I

प्रशिक्षक के रूप में पशुचिकित्सा महाविद्यालय की डॉ नंदनी कुमारी, डॉ अबसार अहमद, डॉ थानेश उराँव, कृषि महाविद्यालय के डॉ शिवम मिश्र, डॉ अंकिता तथा सीआइपी के हरिओम पचौरी ने प्रतिभागियों को विभिन्न संख्यिकीय टूल्स की सैधांतिक और व्यावहारिक बारीकियों से अवगत कराया I प्रशिक्षण में रांची विश्वविद्यालय, संत जेविएर्स कॉलेज, भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, नामकुम, पशुचिकित्सा महाविद्यालय तथा रांची कृषि महाविद्यालय के कुल 23 शिक्षकों तथा पीएचडी शोधार्थियों ने भाग लिया I

झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर अनुसंधान एवं शिक्षण के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया

रांची: झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने नए क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्नातकोत्तर अनुसंधान एवं शिक्षण के लिए के लिए दीर्घकाल तक आपसी सहयोग के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया हैI इससे दोनों संस्थानों के छात्र- छात्राओं को विशेषज्ञ शिक्षकों का मार्गदर्शन और संस्थानों की सुवधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी I

समझौता पत्र का उद्देश्य विभिन्न विषयों में गुणवत्तायुक्त शिक्षण के अवसर पैदा करना, स्टूडेंट एक्सचेंज, फैकल्टी एक्सचेंज, शोध परियोजनाओं, पेटेंट, डाक्टरल प्रोग्राम, विशेषज्ञ फैकल्टी, उद्योगों के साथ सहयोग-सहभागिता, प्रकाशन और नयी शिक्षा नीति 2000 के तहत की जानेवाली पहल आदि क्षेत्रों में प्रसार कार्यक्रमों का सुदृढीकरण एवं विस्तार करना है I समझौते के अनुसार दोनों संस्थानों में उपलब्ध प्रयोगशालाओं और पुस्तकालय सुविधाओं का उपयोग एक-दूसरे संस्थान के विद्यार्थी एवं शिक्षक कर सकेंगे I खपत होनेवाली सामग्री का भार सम्बंधित संस्थान द्वारा वहन किया जायेगा I स्टूडेंट्स एक्सचेंज की संख्या इस मद में उपलब्ध राशि के अनुसार दोनों संस्थानों के रेगुलेशन और नीतियों का अनुपालन करते हुए किया जायेगाI

बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर उस संस्थान का हक़ होगा जहाँ विद्यार्थी द्वारा शोध कार्य का ज्यादा हिस्सा पूरा किया गया होगा I यदि दोनों संस्थानों में सामान रूप से शोध कार्य पूरा किया गया होगा तब पेटेंट और नयी जानकारी पर दोनों संस्थानों का समानुपातिक अधिकार होगा I
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इसे राज्य के शैक्षिक विकास के मार्ग में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है और कहा कि एक दूसरे की विशेषज्ञता से दोनों संस्थान लाभान्वित होंगेI

समझौता पत्र पर झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल (डॉ) राजेश कुमार और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ नरेन्द्र कुदादा ने हस्ताक्षर किये I समझौता तीन वर्षों के लिए है और तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है, इसे पांच वर्षों तक विस्तारित किया जा सकता है I आपसी लिखित सहमति से इसमें संशोधन किया जा सकता है किन्तु प्रभावी तिथि से छः माह पूर्व संशोधन करना होगा I