Kanke, Ranchi, Jharkhand

( A State Government University )

जलवायु परिवर्तन से कृषि कार्य जटिल हो रही है: डॉ बीके अग्रवाल

भारतीय कृषि को जलवायु की बदलती परिस्थितियां सबसे अधिक प्रभावित कर रही है। इसकी मुख्य वजह लंबे समय से मौसमी कारक जैसे तापमान, वर्षा, आर्द्रता आदि पर निर्भरता है। जलवायु परिवर्तन से तापमान में बढ़ोतरी का कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जल स्रोत और भंडार तेजी से सिकुड़ रहे हैं, जिससे किसानों को परंपरागत सिंचाई के तरीके छोङकर पानी की खपत कम करने वाले आधुनिक तरीके एवं उपयुक्त फसलों की खेती अपनाने की आवश्यकता है।

उक्त बातें बीएयू के मुख्य वैज्ञानिक (मृदा) डॉ बीके अग्रवाल ने कही। वे 18 मार्च को रांची के ललगुटुआ स्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्-वन उत्पादकता संस्थान द्वारा आयोजित व्‍याख्‍यान में बोल रहे थे। इसका विषय ‘जलवायु परिवर्तन प्रभाव को कम करने में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन : चुनौतियां एवं अवसर’ था।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्त्तन से प्रदूषण, भू-क्षरण और सूखा पड़ने से पृथ्वी की तीन चौथाई भूमि क्षेत्र की गुणवत्ता कम हो गई है। भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक प्रभावी एवं अनुकूल बनाने के लिए कृषि से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए टिकाऊ खेती पर जोर देना होगा।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि प्राकृतिक जल-स्रोतों एवं मृदा संरक्षण पर विशेष ध्यान, फसल एवं क्षेत्रानुसार पोषक तत्व प्रबंधन, भूमि-जल की गुणवत्ता बनाए रखने और शुष्क कृषि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। साथ ही वैकल्पिक कृषि पद्धति के तहत जोखिम प्रबंधन, कृषि संबंधी ज्ञान सूचना एवं प्रौद्योगिकी पर विशेष बल देनी होगी।

व्याख्यान में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्, देहरादून अधीन देशभर में कार्यरत करीब 40 तकनीकी पदाधिकारियों ने भाग लिया। व्याख्यान का आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्त्तन मंत्रालय, भारत सरकार के मानव संसाधन विकास योजना अधीन किया गया। कार्यक्रम का संचालन वन उत्पादकता संस्थान के वैज्ञानिक डॉ अंशुमन दास ने किया।