Kanke, Ranchi, Jharkhand

( A State Government University )

बीएयू के 7वें दीक्षांत समारोह में 24 विद्यार्थियों को मिला गोल्ड मेडल

झारखंड राज्यपाल रमेश बैस ने किसानों को नियमित और टिकाऊ आय सुनिश्चित करने के लिए समेकित कृषि पद्धति को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है। वह 2 फरवरी को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राज्‍यपाल ने कहा कि यहां के प्रत्येक स्नातक को 5 गांव में जाकर, समय देकर किसानों की परिस्थिति, समस्या और प्राथमिकताओं को समझना चाहिए। समाधान के रास्ते प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाना बड़ी चुनौती है। इसका मुकाबला प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देकर ही किया जा सकता है।

सीखने की उम्र नहीं होती

राज्‍यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि सीखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती, इसलिए नया ज्ञान प्राप्त करने की भूख आजीवन बनी रहनी चाहिए। नई पीढ़ी अच्छे मार्ग पर चले। हर दौर की चुनौतियों का सामना अपने नवीनतम ज्ञान के माध्यम से करे।

1139 विद्यार्थियों को आमंत्रित

राज्यपाल ने विभिन्न बैच के टॉपर 24 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल और कृषि, पशु चिकित्सा एवं वानिकी विज्ञान में पीएचडी करने वाले 25 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय के 11 कॉलेजों के कुल 1139 छात्र-छात्राओं को आमंत्रित किया गया था। इनमें स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले 888, मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले 226 और पीएचडी करने वाले 25 विद्यार्थी शामिल थे।

समाज की सेवा करे

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने दीक्षांत भाषण में कहा कि डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को समाज के बेहतर कार्य के लिए अपने आपको समर्पित करना चाहिए। जिस संस्था में पढ़े, जिस गांव, शहर, कस्बे या प्रान्त से आए हैं, अपने अवदान से उसका नाम रोशन करें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जब तक आप अपनी आंतरिक मेधा से बाहर आकर समाज की सेवा नहीं करते, तब तक आपकी शिक्षा परिपूर्ण नहीं है।

डॉ पाठक ने कहा कि वर्ष 1970 तक अपनी खाद्य आवश्यकताओं के लिए दूसरे देशों से खाद्यान्न आयात पर निर्भर रहने वाला भारत आज इस मोर्चे पर आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ 15 से 20 मिलियन टन अनाज निर्यात कर रहा है। विश्‍व के 15 से 20 देशों को मुफ्त में भी अनाज दे रहा है। पूरे विश्व में भारतीय कृषि आदर्श है। यदि हमारी कृषि किसी कारण पिछड़ जाए तो पूरे विश्व की खाद्य और पोषण सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।